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bihar gupta sculptures found on rocks of murali hill and ajg
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‍Bihar: भागलपुर जिले के सुल्तानगंज स्थित मुरली पहाड़ के पश्चिमी भाग स्थित तीन बड़े-बड़

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bihar gupta sculptures found on rocks of murali hill and ajg ‍Bihar: भागलपुर जिले के सुल्तानगंज स्थित मुरली पहाड़ के पश्चिमी भाग स्थित तीन बड़े-बड़े शिलाखंडों पर सनातन धर्म के देवी-देवताओं की मूर्तियां और चित्र बने हुए मिले हैं | ‍Bihar: भागलपुर जिले के सुल्तानगंज स्थित मुरली पहाड़ के पश्चिमी भाग स्थित तीन बड़े-बड़े शिलाखंडों पर सनातन धर्म के देवी-देवताओं की मूर्तियां और चित्र बने हुए मिले हैं. पहाड़ों पर उकेरी गयी इन मूर्तियों का समय गुप्तकाल का माना जा रहा है. कुछ मूर्तियों के नीचे गुप्तकालीन ब्राह्मी लिपी और संस्कृति भाषा में अभिलेख भी खुदा हुआ है. यह खुलासा पुरात्व निदेशालय के निर्देश पर भागलपुर संग्रहालय के अध्यक्ष के सर्वेक्षण में हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार इन मूर्तियों और अभिलेखों से ऐसा जान पड़ता है कि गंगा नदी उस समय इससे कुछ दूरी पर ही बहती रही होगी और शिलाखंडों पर उकेरी गयीं मूर्तियां पानी में डूब गयी होंगी. जैसे-जैसे पानी कम होता गया मूर्तियां लोगों की नजर में आने लगी होंगी. इन अभिलेखों की लिपी और भाषा का समय पांचवीं-छठी शताब्दी का माना जा सकता है, लेकिन इन मूर्तियों व चित्रों में क्षरण शुरू हो गया है. www.prabhatkhabar.com

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‍Bihar: भागलपुर जिले के सुल्तानगंज स्थित मुरली पहाड़ के पश्चिमी भाग स्थित तीन बड़े-बड़े शिलाखंडों पर सनातन धर्म के देवी-देवताओं की मूर्तियां और चित्र बने हुए मिले हैं | ‍Bihar: भागलपुर जिले के सुल्तानगंज स्थित मुरली पहाड़ के पश्चिमी भाग स्थित तीन बड़े-बड़े शिलाखंडों पर सनातन धर्म के देवी-देवताओं की मूर्तियां और चित्र बने हुए मिले हैं. पहाड़ों पर उकेरी गयी इन मूर्तियों का समय गुप्तकाल का माना जा रहा है. कुछ मूर्तियों के नीचे गुप्तकालीन ब्राह्मी लिपी और संस्कृति भाषा में अभिलेख भी खुदा हुआ है. यह खुलासा पुरात्व निदेशालय के निर्देश पर भागलपुर संग्रहालय के अध्यक्ष के सर्वेक्षण में हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार इन मूर्तियों और अभिलेखों से ऐसा जान पड़ता है कि गंगा नदी उस समय इससे कुछ दूरी पर ही बहती रही होगी और शिलाखंडों पर उकेरी गयीं मूर्तियां पानी में डूब गयी होंगी. जैसे-जैसे पानी कम होता गया मूर्तियां लोगों की नजर में आने लगी होंगी. इन अभिलेखों की लिपी और भाषा का समय पांचवीं-छठी शताब्दी का माना जा सकता है, लेकिन इन मूर्तियों व चित्रों में क्षरण शुरू हो गया है.
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